अनपढ़ जाट पढ़े बराबर, पढ़ा जाट खुदा बराबर...!!

अनपढ़ जाट पढ़े बराबर,पढ़ा जाट खुदा बराबर..!!

ये कहावत जाटो ने नहीं,दिल्ली सल्तनत के समय एक सुल्तान ने उस समय दी थी जब घोड़ो के बंटवारे के विवाद को कोई सुलझा नहीं पाया था और फिर एक चौधरी को बुलाया गया था..!!

जाट हमेशा से ही अपनी बेबाक ज़ुबान के लिए जाने जाते हैं,जाट की तर्कशक्ति और हाज़िरजवाबी से हर कोई एक नज़र में प्रभावित हो जाता है,अपनी शक्ति को पहचानें और पढ़ते रहिए...!!

जय जाट

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