ताज़महल के नगर पर विजय प्राप्त करने वाला एक मात्र हिन्दू राजा सुरजमल जाट थे
ताजमहल के नगर पर विजय प्राप्त करने वाला एक मात्र हिन्दू महाराजा सूरजमल..!!
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महाराजा सूरजमहल ने 12 जून 1761 को ताजमहल समेत सम्पूर्ण आगरा फ़िरोज़ाबाद पर अधिकार कर लिया था यह उस हिन्दू वीर राजाराम ,कान्हा रावत और गोकुला का बदला था जिन्होंने मुगलो से डटकर संघर्ष किया
दिल्ली से हिंगणे बन्धु लिखते हैं कि सूरजमल ने आगरा किले के अन्दर से सभी मुस्लिम चिन्ह हटाकर उसे यज्ञ हवन आदि से पवित्र किया और उस स्थान (सिंहासन) पर बैठा, जहां बादशाह के अलावा कोई नहीं बैठता था। हिंगणे दफ्तर, 11, पत्र 46; रेने मैडक के अनुसार सूरजमल ने किले पर अधिकार के बाद उसका पुनर्निर्माण किया। बंगाल पास्ट एण्ड प्रजेण्ट, जि० 53 (1937 ई० पृ० 69)।
महाराज सूरजमल द्वारा आगरा का किला विजय के विषय में दिल्ली स्थित बिड़ला मन्दिर में प्रमाणित लेख -
(1). बिड़ला मन्दिर की सीमा में, एक स्तम्भ पर हाथ में तलवार लिये हुये, महाराजा सूरजमल की विशालकाय मूर्ति स्थापित है। उस स्तम्भ पर शिलालेख अंकित है - “आर्य (हिन्दू) धर्मरक्षक कृष्णवंशी जाट वीर भरतपुर के महाराजा सूरजमल जिनकी वीरवाहिनी जाट सेना ने मुग़लों के लाल किले (आगरा) पर विजय प्राप्त की।”
(2). इसी मूर्ति के निकट ऐसी ही एक दूसरी मूर्ति है जिसके स्तम्भ पर शिलालेख अंकित है - “आर्य (हिन्दू) धर्मरक्षक जाट वीर भरतपुर के महाराजा सूरजमल, जिनकी वीरवाहिनी जाट सेना ने आगरे के प्रसिद्ध शाहजहां के कोट को अधिकार में कर लिया था।”
(3). बिड़ला मन्दिर की पश्चिमी अन्तिम सीमा में एक मकान की दीवार पर लेख अंकित है - “आगरा मुग़लों के लाल किले पर जाट वीरों की विजय।” “जाटों की सेना का विजयप्रवेश भरतपुर के वीर जाटों की सेना आगरा मुगलों के लाल किले को विजय कर रही है।” उस दीवार पर, आगरा के किले पर आक्रमण कर रही भरतपुर के जाट वीरों की सेना का चित्र अंकित है।
दिल्ली क्रानिकल्स, पृ० 124; सियार, 111, पृ० 402 के अनुसार एक महीने के घेरे के बाद 12 जून 1761 ई० को मुगलों के अधीन आगरा के किले पर जाट सेना का अधिकार हो गया। जाटों को यहां लूट में विशाल सामग्री मिली। सूरजमल को यहां से 50 लाख रुपये तथा भारी संख्या में गोला बारूद, शस्त्र एवं तोपें मिलीं, जो डीग व भरतपुर के दुर्गों में पहुंचा दी गईं। किले में स्थायी जाट रक्षक सेना तैनात कर दी गई। इस प्रकार आगरा, जिसे द्वितीय शाही राजधानी का गौरव प्राप्त था, पर जाट राजा का अधिकार स्थापित हो गया। इस अवसर पर सूरजमल ने आगरा के शाही किले में अपना भव्य दरबार आयोजित किया और उसे अपने निजी दुर्ग की तरह सजाया।जाटो ने ताजमहल लूट लिया और उसे आग लगाकर नष्ट लर देना चाहते थे तो महाराजा सूरजमल ने कहा इस सुंदर निर्जीव इमारत से क्या द्वेष..!! और इसको बचा दिया..!!
आजकल ताजमहल पर विवाद हो रहा है की यहां किस की मूर्ति लगनी चाहिए पर यह ब्रज क्षेत्र है तो यहाँ ब्रज के वीरो का सम्मान पहले होना चाहिए क्यों की ब्रज क्षेत्र खुद वीरो से भरा पड़ा है जो त्याग और बलिदान की मिसाल जग में पेश करते है जिनके त्याग और बलिदान के आगे दुनिया सर झुकाती है तो ब्रज के आगरा की इस भूमि पर मूर्ति के वास्तविक हक़दार ब्रज के सिर्फ 2 वीर है एक हिन्दुवा सूरज वीर सूरजमल दूसरा वीर राजाराम जिस ने अकबर की कब्र तक जला डाली...!!
जाटो तो हर धर्म में वीर रहे हैं,जब जाट मुगलों से लड़ते थे तो उनके रिश्तेदार हिन्दू उल्टा जाटो पर ही हमला करते थे..!! मुगलों की दोनों राजधानी आगरा और दिल्ली दोनों को जाटो ने जीता है...!! 💪💪 ❤
जय महाराजा सूरजमल, जय जाट 🙏🙏
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महाराजा सूरजमहल ने 12 जून 1761 को ताजमहल समेत सम्पूर्ण आगरा फ़िरोज़ाबाद पर अधिकार कर लिया था यह उस हिन्दू वीर राजाराम ,कान्हा रावत और गोकुला का बदला था जिन्होंने मुगलो से डटकर संघर्ष किया
दिल्ली से हिंगणे बन्धु लिखते हैं कि सूरजमल ने आगरा किले के अन्दर से सभी मुस्लिम चिन्ह हटाकर उसे यज्ञ हवन आदि से पवित्र किया और उस स्थान (सिंहासन) पर बैठा, जहां बादशाह के अलावा कोई नहीं बैठता था। हिंगणे दफ्तर, 11, पत्र 46; रेने मैडक के अनुसार सूरजमल ने किले पर अधिकार के बाद उसका पुनर्निर्माण किया। बंगाल पास्ट एण्ड प्रजेण्ट, जि० 53 (1937 ई० पृ० 69)।
महाराज सूरजमल द्वारा आगरा का किला विजय के विषय में दिल्ली स्थित बिड़ला मन्दिर में प्रमाणित लेख -
(1). बिड़ला मन्दिर की सीमा में, एक स्तम्भ पर हाथ में तलवार लिये हुये, महाराजा सूरजमल की विशालकाय मूर्ति स्थापित है। उस स्तम्भ पर शिलालेख अंकित है - “आर्य (हिन्दू) धर्मरक्षक कृष्णवंशी जाट वीर भरतपुर के महाराजा सूरजमल जिनकी वीरवाहिनी जाट सेना ने मुग़लों के लाल किले (आगरा) पर विजय प्राप्त की।”
(2). इसी मूर्ति के निकट ऐसी ही एक दूसरी मूर्ति है जिसके स्तम्भ पर शिलालेख अंकित है - “आर्य (हिन्दू) धर्मरक्षक जाट वीर भरतपुर के महाराजा सूरजमल, जिनकी वीरवाहिनी जाट सेना ने आगरे के प्रसिद्ध शाहजहां के कोट को अधिकार में कर लिया था।”
(3). बिड़ला मन्दिर की पश्चिमी अन्तिम सीमा में एक मकान की दीवार पर लेख अंकित है - “आगरा मुग़लों के लाल किले पर जाट वीरों की विजय।” “जाटों की सेना का विजयप्रवेश भरतपुर के वीर जाटों की सेना आगरा मुगलों के लाल किले को विजय कर रही है।” उस दीवार पर, आगरा के किले पर आक्रमण कर रही भरतपुर के जाट वीरों की सेना का चित्र अंकित है।
दिल्ली क्रानिकल्स, पृ० 124; सियार, 111, पृ० 402 के अनुसार एक महीने के घेरे के बाद 12 जून 1761 ई० को मुगलों के अधीन आगरा के किले पर जाट सेना का अधिकार हो गया। जाटों को यहां लूट में विशाल सामग्री मिली। सूरजमल को यहां से 50 लाख रुपये तथा भारी संख्या में गोला बारूद, शस्त्र एवं तोपें मिलीं, जो डीग व भरतपुर के दुर्गों में पहुंचा दी गईं। किले में स्थायी जाट रक्षक सेना तैनात कर दी गई। इस प्रकार आगरा, जिसे द्वितीय शाही राजधानी का गौरव प्राप्त था, पर जाट राजा का अधिकार स्थापित हो गया। इस अवसर पर सूरजमल ने आगरा के शाही किले में अपना भव्य दरबार आयोजित किया और उसे अपने निजी दुर्ग की तरह सजाया।जाटो ने ताजमहल लूट लिया और उसे आग लगाकर नष्ट लर देना चाहते थे तो महाराजा सूरजमल ने कहा इस सुंदर निर्जीव इमारत से क्या द्वेष..!! और इसको बचा दिया..!!
आजकल ताजमहल पर विवाद हो रहा है की यहां किस की मूर्ति लगनी चाहिए पर यह ब्रज क्षेत्र है तो यहाँ ब्रज के वीरो का सम्मान पहले होना चाहिए क्यों की ब्रज क्षेत्र खुद वीरो से भरा पड़ा है जो त्याग और बलिदान की मिसाल जग में पेश करते है जिनके त्याग और बलिदान के आगे दुनिया सर झुकाती है तो ब्रज के आगरा की इस भूमि पर मूर्ति के वास्तविक हक़दार ब्रज के सिर्फ 2 वीर है एक हिन्दुवा सूरज वीर सूरजमल दूसरा वीर राजाराम जिस ने अकबर की कब्र तक जला डाली...!!
जाटो तो हर धर्म में वीर रहे हैं,जब जाट मुगलों से लड़ते थे तो उनके रिश्तेदार हिन्दू उल्टा जाटो पर ही हमला करते थे..!! मुगलों की दोनों राजधानी आगरा और दिल्ली दोनों को जाटो ने जीता है...!! 💪💪 ❤
जय महाराजा सूरजमल, जय जाट 🙏🙏
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